आशियाने तो बोहत है 
इस जहाँ में
ना जाने क्यों फिर भी ये दिल
तेरे दिल को ही
अपना आशियाना बनाने की ज़िद कर के बैठा है।
ना जाने क्यों ये नादान समझता नहीं
तुझे ही अपनी खुशी समझे बैठा है।
तेरे प्यार में मासूम बच्चे की तरह
अपना खिलौना तुझे समझ बैठा है।
तेरी चाहत में
मेरी सब आव रूह गँवाने के लिए
तेरी राह देखता
तैयार बैठा है।
Rakhi Saroj
13.05.2018

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